अभ्यास

1999 शिकागो फा सम्मेलन के दौरान गुरु ली एक अभ्यासी की मुद्रा सही करते हुए.

फालुन दाफा का व्यायाम धीमा, सौम्य और सीखने में आसान हैं. इस पृष्ठ पर व्यायाम के पांचोँ संग्रहों का एक सामान्य अवलोकन दिया गया है. ऑनलाइन वीडियो निर्देशों और अधिक जानकारी के लिए लिंक्स दी गयी हैं. क्या आप अभी शुरू कर रहे हैं? हमारे "कैसे सीखें" पृष्ठ पर और अधिक जानकारी प्राप्त करें.

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फालुन दाफा व्यायामों के पाँच संग्रह हैं. नीचे समझाये गए अंश श्री ली होंगज़ी द्वारा लिखित पुस्तक फालुन गोंग से लिए गए हैं.


व्यायाम 1: बुद्ध सहस्त्र हस्त प्रदर्शन व्यायाम

सिद्धांत: बुद्ध सहस्त्र हस्त प्रदर्शन व्यायाम खिंचाव द्वारा सभी शक्ति नाडियों को खोलने पर केन्द्रित है. इस व्यायाम के अभ्यास के पश्चात् नए अभ्यासी बहुत कम समय में शक्ति प्राप्त कर सकेंगे तथा अनुभवी अभ्यासी कम समय में अपने स्तर को ऊँचा कर सकते हैं. इस व्यायाम का उद्देश्य है कि सभी शक्ति नाडियाँ प्रारंभ में ही खुल जाएँ, जिससे अभ्यासी तत्काल ही ऊँचे स्तर पर अभ्यास करने में समर्थ हो सके. इस अभ्यास की गतिक्रिआएं बहुत सरल हैं क्योंकि महान मार्ग, नियमानुसार, सिखाने में सरल तथा सुगम होता है. यद्यपि गतिक्रिआएं सरल हैं, ये साधना में शामिल संपूर्ण वस्तुओं को नियंत्रित करती हैं. इस व्यायाम का अभ्यास करते हुए शरीर गर्माहट महसूस करेगा तथा एक अनूठी अनुभूति का अनुभव होगा जैसे वहां एक बहुत प्रभावशाली शक्ति क्षेत्र है. यह पूरे शरीर में सभी शक्ति नाडियों के खिंचाव तथा खुलने के कारण होगा. इसका उद्देश्य उन क्षेत्रों को खोलना है जहां शक्ति अवरुद्ध है, जिससे शक्ति मुक्त रूप से तथा निर्विघ्न प्रवाह कर सके, शक्ति को शरीर के अन्दर तथा त्वचा के नीचे गतिमय बनाया जाए, इसका प्रबलता से प्रवाह किया जाए तथा बहुत अधिक मात्रा में शक्ति को ब्रह्मांड से सोखा जाए. इसी समय, यह अभ्यासी को इस योग्य भी बनाती है की वह चीगोंग शक्ति क्षेत्र में होने की अवस्था में प्रवेश कर सके. यह व्यायाम फालुन गोंग की आधारभूत व्यायाम के रूप में अभ्यास किया जाता है, तथा सामान्यतः पहले किया जाता है. यह साधना को मजबूती प्रदान करने वाली विधियों में से एक है. व्यायाम 1 सीखें

व्यायाम 2: फालुन स्थिर मुद्रा व्यायाम

सिद्धांत: यह फालुन गोंग व्यायामों का दूसरा संग्रह है. यह शांत भाव में खड़े रहने का व्यायाम है जिसमें चक्र को थामने की चार मुद्राएं है. मुद्राएं एक जैसी हैं व हर मुद्रा में काफी समय तक रहने की आवश्यकता है. नए अभ्यासियों को बाँहों में भारीपन और दर्द महसूस हो सकता है, फिर भी व्यायाम के पश्चात सारा शरीर हल्का महसूस करेगा व किसी प्रकार की थकावट महसूस नहीं होगी. जैसे जैसे व्यायाम की आवृति व समयावधि बढेगी, अभ्यासी फालुन को हाथों मध्य घूमता हुआ अनुभव कर सकेंगे. फालुन स्थिर मुद्रा व्यायाम का नियमित अभ्यास सारे शरीर को पूरी तरह खोल देगा व शक्ति सामर्थ्य को बढ़ाएगा. फालुन स्थिर मुद्रा व्यायाम एक सघन साधना का तरीका है, जो विवेक बढाता है स्तर ऊँचा करता है व दिव्य शक्तियों को सुदृढ़ करता हैं. इसमें गतिविधियाँ सरल है फिर भी इस व्यायाम से बहुत कुछ प्राप्त किया जा सकता है क्योंकि यह जो अभ्यास कराता है उसमें सभी कुछ सम्मिलित है. व्यायाम के दौरान गतिविधियाँ स्वाभाविक रूप से करें. आपको इस बात का बोध अवश्य रहना चाहिए कि आप व्यायाम कर रहे हैं. हिलना डुलना नहीं चाहिए हालाँकि थोडा हिलना सामान्य है. फालुन गोंग के अन्य व्यायामों के सामान ही इस व्यायाम का अंत अभ्यास का अंत नहीं है क्योंकि फालुन कभी आवर्तन समाप्त नहीं करता. प्रत्येक मुद्रा कि अवधि अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग हो सकती है; जितनी ज्यादा उतनी उत्तम. व्यायाम 2 सीखें

व्यायाम 3: ब्रह्मांड के दो छोरों का भेदन व्यायाम

सिद्धांत: इस व्यायाम का उद्देश्य ब्रह्मांड की शक्ति का भेदन करना व उसका शरीर की भीतरी शक्ति के साथ विलय करना है. बहुत अधिक मात्रा में शक्ति बाहर निकाली जाती है व ली जाती है. बहुत ही कम समय में अभ्यासी रोगग्रस्त व काली ची अपने शरीर से बहार निकाल सकते हैं तथा समुचित मात्रा में ब्रह्मांड कि शक्ति अंदर ले सकते हैं, जिससे उनका शरीर निर्मल होता है व "शुद्ध श्वेत शरीर" कि शीघ्र प्राप्ति हो सकती है. इसके साथ-साथ यह व्यायाम सर के उपरी भाग को खोलने में सहायता करता है व पैरों के नीचे कि धाराओं को खोलता है. इस व्यायाम को करने से पहले आप कल्पना करें कि आप आकाश और पृथ्वी के मध्य खड़े दो बड़े खोखले स्तंभों के समान हैं. हाथों की ऊपर की गति के साथ शरीर के अन्दर की ची तेजी से सर के उपरी हिस्से से निकल कर ब्रह्मांड के उपरी छोर तक पहुँच जाती है, तथा हाथों कि नीचे की ओर गति के साथ यह पैरों से होती हुई ब्रह्मांड के निचले छोर तक पहुँच जाती है. हाथों की गति का अनुसरण करते हुए, शक्ति दोनों छोरों से वापिस शरीर में आती है तथा फिर विपरीत दिशा से उत्सर्जित हो जाती है. हाथ विपरीत दिशाओं में ऊपर और नीचे प्रत्येक नौ बार जाते हैं. नौवीं गति के दौरान, बाएँ हाथ को (महिलाएं, दायें हाथ को) ऊपर रहने देते हैं व दूसरे हाथ को ऊपर लाते हैं. फिर दोनों हाथ एक साथ नीचे ले जाते हैं, जिससे शक्ति निचले छोर तक पहुँच जाए तथा वापिस शरीर के साथ-साथ उपरी छोर तक पहुँच जाए. हाथों की ऊपर-नीचे नौं बार गति के पश्चात् शक्ति वापिस शरीर में आ जाती है. पेट के निचले क्षेत्र पर, फालुन को चार बार घडी कि दिशा (सामने से देखने पर) में घुमाया जाता है, जिससे शक्ति जो बाहर है वापिस शरीर में आ जाती है. हाथों को जीयिन में मिलाकर व्यायाम का अंत करते हैं, लेकिन यह अभ्यास का अंत नहीं है. व्यायाम 3 सीखें

व्यायाम 4: फालुन दिव्य परिपथ व्यायाम

सिद्धांत: यह व्यायाम मनुष्य के शरीर की शक्ति को एक बहुत बड़े क्षेत्र में फैलने के योग्य बनाता है. एक अथवा अनेक नाड़ियों से गुजरने की अपेक्षा, शक्ति शरीर के यिन पक्ष से यैंग पक्ष की ओर बार-बार प्रवाहित होती है. यह व्यायाम शक्ति धाराओं को खोलने की साधारण विधियों अथवा बड़ी (महान) व छोटी दिव्य परिक्रमाओं की अपेक्षा कहीं श्रेष्ठ है. यह फालुन गोंग का मध्यम स्तर का व्यायाम है. पिछले तीन व्यायामों के आधार पर इस व्यायाम का उद्देश्य शरीर के सभी धारा प्रवाहों (महान दिव्य परिक्रमा सहित) को खोलना है, जिससे पूरे शरीर में, ऊपर से नीचे तक, शक्ति धाराएं धीरे-धीरे एक दूसरे से जुड़ जाएं. इस व्यायाम की सबसे बड़ी विशेषता, फालुन के आवर्तन का इस्तेमाल मानव शरीर कि सभी असामान्य परिस्थितियों को ठीक करना है, जिससे मानव शरीर — एक छोटा ब्रह्मांड — अपनी मूल अवस्था में लौटता है तथा पूरे शरीर कि शक्ति स्वछ्न्द व निर्विघ्न रूप से प्रवाहित होती है. इस स्तर तक पहुँचने पर, अभ्यासी त्रिलोक-फा साधना के बहुत ऊँचे स्तर तक पहुँच जाते हैं और, अगर उनमें महान आध्यात्मिक क्षमता है तो, अपनी दाफा (महान मार्ग) की साधना आरम्भ कर सकते हैं. इस समय उनका गोंग सामर्थ्य व अलौकिक शक्तियां आश्चर्यजनक रूप से बढ़ती हैं. इस व्यायाम में हाथो को चीजी (शक्ति-यन्त्र) का अनुसरण करना चाहिए. हर गति सौम्य, धीमी व शांत होनी चाहिए. व्यायाम 4 सीखें

व्यायाम 5: दिव्य शक्तियों को सुदृढ करने का व्यायाम

सिद्धांत: दिव्य शक्तियों को सुदृढ़ करने का व्यायाम एक शांतिपूर्ण अभ्यास करने का व्यायाम है. यह एक बहुआयामी व्यायाम है जिसका उद्देश्य बुद्ध मुद्रा या हस्त संकेतों द्वारा फालुन को घुमाकर दिव्य शक्तियों (अलौकिक सिद्धियों समेत) तथा गोंग सामर्थ्य को सुदृढ़ करना है. यह एक मध्यम स्तर से ऊपर का व्यायाम है व वास्तविकता में इसे एक गुप्त अभ्यास माना जाता था. वे अभ्यासी जो एक आधारभूत स्तर तक पहुँच चुके हैं, की आशाओं का ध्यान रखते हुए मैंने इस साधना व्यायाम को विशेष रूप से सार्वजनिक कर दिया है जिससे पूर्व निर्धारित अभ्यासियों का उद्धार किया जा सके. इस व्यायाम में दोनों पैरों को एक दूसरे के ऊपर रखकर बैठना होता है. पूर्ण कमल मुद्रा उत्तम है परन्तु अर्ध कमल मुद्रा भी स्वीकार्य है. व्यायाम के दौरान ची का प्रवाह बहुत प्रबल होता है और शरीर के आस-पास का शक्ति क्षेत्र बहुत बड़ा होता है. हाथ, गुरु द्वारा स्थापित शक्ति यन्त्र का अनुसरण करते हैं, जब हाथ की गति प्रारंभ होती है तो ह्रदय विचारों का अनुसरण करता है. जब दिव्य शक्तियों को सुदृढ़ करें तो मन को रिक्त रखें तथा हल्का सा ध्यान दोनों हथेलियों पर केन्द्रित करें. हथेलियों का मध्य गर्माहट, भारीपन, झनझनाहट, सुन्न, जैसे कोई बोझ उठाया हो वगरैह महसूस करेगा, फिर भी किसी संवेदना का जानबूझकर पीछा न करें—उसे स्वाभाविक रूप से होने दें. जितने ज्यादा समय तक पैर एक दूसरे के ऊपर (पूर्ण कमल मुद्रा) रहेंगे, उतना ज्यादा अच्छा रहेगा और यह आपकी सहनशीलता पर निर्भर है. जितना ज्यादा कोई बैठेगा, उतनी गहन क्रिया होगी और उतनी ही तीव्रता से शक्ति की वृद्धि होगी. इस व्यायाम को करते समय कुछ भी नहीं सोचिए—इसमें कोई विचार शामिल नहीं है—सहजता से शांत अवस्था में चले जाएं. धीरे-धीरे सक्रिय स्थिति, जो शांत अवस्था तो लगती हैं किन्तु दिंग (गहन शांति) नहीं है, से धीरे-धीरे दिंग में चले जाएं. परन्तु आपकी मुख्य चेतना को इस बात का आभास रहना चाहिए की आप व्यायाम कर रहे हैं. व्यायाम 5 सीखें